इस वीडियो में दिख रहा है कि गेहूं की फसल पूरी तरह पक चुकी है।
फसल कटने को तैयार है।
सूर्य किरणों के बिना भी और सूर्य किरणों के साथ भी सुंदर, सोने जैसी चमकती फसल।
बच्चों यही होते हैं गेहूं।
पूरे भारत में गेहूं की फसल काटी जा रही है।
कहीं-कहीं कट चुकी है। कहीं अब कटेगी।
बच्चों, गेहूं की फसल पकने, कटने और साफ करके इकट्ठा करने की खुशी में ही बैसाखी और गुड़ी पड़वा त्योहार भारत में मनाया जाता है।
इसी दिन यानी (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से हिन्दू नववर्ष आरंभ होता है।
यह दिन आर्य समाज की स्थापना का दिन भी है।
प्रकृति द्वारा हमें गेहूं अन्न दिया गया।
कृषकों ने अन्न उगाने में हाथ बंटाया, परिश्रम किया।
प्रकृति और किसानों को याद करने का दिन भी है बैसाखी।
बच्चों, इसी गेहूं को पीसकर आटा बनता है।
आटे की रोटियां और परांठे तो तुम रोज ही खाते हो।
जानते हो बच्चों, बारीक पिसे हुये आटे से ही मैदा भी बनता है।
मैदे के बने समोसे, जलेबी, चाऊमीन, मोमोज और दूसरे पकवान भी तुम खाते ही रहते हो।
तो याद रखो, ये सारी खाने की चीजें हमें गेहूं से ही मिलती हैं।
इसी गेहूं की फसल को वीडियो में दिखाया गया है।
यह वीडियो गिफ्ट उन बच्चों के लिये है, जो महानगरों में रहते हुये यह सब कुछ देख-सुन-महसूस नहीं कर पाते।
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