लोकतंत्र... नहीं-नहीं.... लोपतंत्र... हाँ...हाँ... लीपापोत तंत्र... की कुछ झलकियाँ....
एक ओर विराष्ट्र मंत्री श्रीमान जयशंकर कहते हैं कि, "आतंकवाद को पनाह देनेवाले देशों को अलग-थलग करें।"
सौजन्य: जनसत्ता समाचारपत्र के पृष्ठ 20 पर शुक्रवार 5 जुलाई 2024 को प्रकाशित।
तो दूसरी ओर आतंक का येन-केन-प्रकारेण पोषण-रक्षण कर चुकने के उपराँत दंडभोक्ता व कारागार में काराकृत दो संदिग्ध, नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों के रूप में, शपथ लेने को तैयार-
सौजन्य: जनसत्ता समाचारपत्र के पृष्ठ 8 पर शुक्रवार 5 जुलाई 2024 को प्रकाशित।
ये कैसा लीपापोत तंत्र है? ये कैसा विरोधाभास है? जागरूक तथा विद्वान व्यक्ति के गले नहीं उतरता यह तंत्र।
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