विकुब
क्या सोशल मीडिया से लोगों को मुक्ति मिलेगी?
नहीं मिली तो लोग जंतुओं की तरह सोच-समझ से रहित होकर विलुप्त हो जायेंगे।
अवश्य विचार करें-
विशेषकर सोशल मीडिया का कारोबार करनेवाले अवश्य विचार करें-
वोट का सवाल है दाता नहीं तो सोच भी लेते हा हा
नमस्कार बंधु। धन्यवाद। तंत्रगत विसंगतियाँ! विडंबना कि इन्हीं विसंगतियों का छत्र बना हुआ और उसी के नीचे हमारा जीवन निर्धारित कर दिया गया है।
वोट का सवाल है दाता नहीं तो सोच भी लेते हा हा
जवाब देंहटाएंनमस्कार बंधु।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
तंत्रगत विसंगतियाँ! विडंबना कि इन्हीं विसंगतियों का छत्र बना हुआ और उसी के नीचे हमारा जीवन निर्धारित कर दिया गया है।