शनिवार, 9 दिसंबर 2023

प्रभु! आओ, संवेदनशील मनुष्य के प्राण बचाओ

 

लेख के जो वाक्य स्थान सीमितता के कारणवश प्रकाशित नहीं हो पाये, वे इस प्रकार हैं:

राष्ट्र-विराष्ट्र का शासन-प्रशासन संवेदनशील व्यक्ति के सिर पर मंडरा रहा है। उसे ईश्वरीय तथा प्राकृतिक जीवन नहीं जीने दे रहा। ऐसे में यही प्रार्थना है कि प्रभु! आओ, संवेदनशील मनुष्य के प्राण बचाओ।

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